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सकारात्मक प्रभाव
- वैश्वीकरण ने अर्थव्यवस्था के स्वरूप में मूलभूत बदलावों को जन्म देते हुए ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था के विकास को संभव बनाया। जिसमें डिजाइन विकास, प्रौद्योगिकी, विपणन, बिक्री और सर्विस प्रदान करना शमिल हैं।
- वैश्वीकरण के अर्थव्यवस्था पर पड़े प्रभाव के फलस्वरूप सूचना प्रौद्योगिकी के प्रसार में गति पकड़ी और इलेक्ट्रॉनिक अर्थव्यवस्था के उभार को संभव बनाया। जिससे ई-कॉमर्स, ई-शॉपिंग, इंटरनेट बैंकिंग और ऑन-लाईन ट्रेडिंग की संकल्पना लोकप्रिय हुई
- वैश्वीकरण ने उत्पादन प्रणाली के साथ-साथ उत्पादन के स्वरूप में बदलाव को स्वीकारते हुए, बहुराष्ट्रीय कंपनियों सीमापारीय कंपनियों के तेजी से उभार को संभव बनाया। अब वस्तुओं और सेवाओं का वैश्विक स्तर पर उत्पादन भी किया जाने लगा।
- वैश्वीकरण ने पूँजी, तकनीक, वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही पर निबंधनों को कमजोर करते हुए इनके सीमा पार प्रवाह करे त्वरित किया।
- वैश्वीकरण ने वैश्विक व्यापार और निवेश के प्रवाह को बढ़ाने का काम किया। जिससे आर्थिक संवृद्धि दर में तेजी आई। विशेष रूप से इसका लाभ भारत, चीन, ब्राजील और मैक्सिकों जैसी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को मिला।
- वैश्वीकरण से उपभोक्ता वस्तुओं पर आधारित उद्योगों का तेजी से विकास हुआ। इसने उपभोक्तावादी संस्कृति के वर्चस्व को स्थापित करते हुए बाजार संभावनाओं को विस्तार प्रदान करने में अहम भूमिका निभाई। जैसे- ऑटोमोबाइल्स, मोबाइल, व्हाइट गुड्स (इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएँ), कोल्ड ड्रिंक, जंक फूड, बैंकिंग आदि ।
नकारात्मक प्रभाव
- वैश्वीकरण के फलस्वरूप उत्पादन के स्वरूप में बदलाव से फैक्ट्रियों में मशीनों व नई तकनीक से उत्पादन किया जाने लगा, जिससे मशीनों पर निर्भरता बढ़ी एवं श्रमिक वर्ग में बेरोजगारी फैली।
- इलेक्ट्रॉनिक अर्थव्यवस्था के उभार ने जहाँ वैश्विक ग्राम की अवधारणा को जन्म दिया वहीं इसने साइबर अपराध यथा-साइबर आतंकवाद, हैकिंग, सोशल मीडिया पर झूठी अफवाहों से दंगों या आंदोलनों जैसी नवीन समस्याओं को ईजाद किया।
- वैश्वीकरण ने विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के माध्यम से बहुराष्ट्रीय या सीमापारीय कंपनियों को दूसरे देशों में उत्पादन के लिए उनके उभार को संभव बनाया, जिससे देशी उद्योगों को नवीन तकनीक से युक्त विदेशी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा करनी पड़ी और वे दयनीय स्थिति में पहुँच गई। उत्पादन लागत में मजदूरी की मात्रा में गिरावट ने इस संकट को और गंभीर बनाया है।
- वैश्वीकरण ने उपभोक्तावादी संस्कृति के वर्चस्व को बढ़ाया, जिससे बचत की प्रवृत्ति में ह्यस देखा जा रहा है। वैश्वीकरण के कारण आयी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने कुछ विशेष क्षेत्रों में निवेश किया। जिसके परिणामस्वरूप सेवा क्षेत्र का तेजी से विस्तार हुआ व इसने ऐसे विकास को जन्म दिया, जिसका लाभ धनी उपभोक्ताओं विशेष रूप से शहरी उपभोक्ताओं को मिला। जिस ने धनी शहरी वर्ग व गरीब ग्रामीण वर्ग की नवीन वर्ग विषमता को जन्म दिया।
2. मध्यप्रदेश के विकास में परिवहन की भूमिका स्पष्ट कीजिए ?
मध्यप्रदेश के विकास में परिवहन की भूमिका बहुमुखी है। इसकी उपयोगिता प्रमुख शीर्षकों में व्यक्त की जा सकती है
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परिवहन की आर्थिक क्षेत्र में भूमिका
- संसाधनों का समुचित प्रयोग ।
- बाजार के विस्तार में सहायक।
- श्रम की गतिशीलता बढ़ाने में सहायक।
- औद्योगीकरण में सहायक ।
- कीमत स्थिरता ।
- उपभोक्ताओं को चयन हेतु अधिक विकल्प उपलब्ध होते हैं।
- आर्थिक विकास में वृद्धि ।
- जीवन स्तर में वृद्धि ।
- प्रदेश की सुरक्षा ।
- सरकार को राजस्व की प्राप्ति ।
- रोजगार में वृद्धि ।
परिवहन की कृषि क्षेत्र में भूमिका
- फसल उत्पादकता में वृद्धि।
- कृषि विपणन में आसानी।
- कृषि क्षेत्र में वृद्धि ।
- नकदी फसलों में वृद्धि।
- कृषि में विभिन्नताएँ लाने का माध्यम।
- कृषि क्रान्ति में सहायक।
परिवहन की सामाजिक क्षेत्र में भूमिका
- उच्च जीवन स्तर।
- अंधविश्वास व रूढ़िवाद में कमी।
- विस्तृत ज्ञान।
- सम्पर्क में वृद्धि।
3. मध्यप्रदेश जनसंख्या नीति, 2000
- 11 जनवरी, 2000 को अनुमोदित इस नीति के प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं: मध्यप्रदेश जनसंख्या स्थिरीकरण नीति, 2000 के तहत् प्रदेश की कुल प्रजनन दर ( TFR ) को सन् 2011 तक 2.1 प्रतिशत लाया जायेगा ।
- दो से अधिक संतान वालों को सरकारी नौकरी व राज्य स्तरीय चुनाव लड़ने पर प्रतिबंधा
- गर्भ निरोधक इस्तेमाल करने वाले दम्पतियों के प्रतिशत को वर्तमान 42% से बढ़ाकर सन् 2011 तक 65% करने का लक्ष्य ।
- शिशु मृत्यु दर को 97 प्रति हजार से घटाकर 62 प्रति हजार तक लाने का लक्ष्य।
- विवाह के लिए निर्धारित न्यूनतम आयु से कम उम्र में विवाह करने वाले सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन के पात्र नहीं होंगे ।
- यह प्रावधान 11 मई, 2000 के पश्चात् विवाह करने वालों पर लागू होगा ।
- ऐसे लोग मण्डी समितियों, सहकारी संस्थाओं तथा स्थानीय निकायों के चुनाव भी नहीं लड़ सकेंगे ।
- 11 मई, प्रतिवर्ष राज्य जनसंख्या स्थिरता दिवस के रूप में मनाया जाएगा ।
- जनसंख्या पर प्रभावी नियंत्रण के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्य में जनसंख्या एवं विकास परिषद् का गठन एवं मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जनसंख्या नीति कार्यान्वयन समिति का गठन ।
- नवविवाहितों के लिए नवविवाहित क्लब की स्थापना कर, ऐसे क्लबों में नवविवाहित जन्म निरोध संबंधी अपनी समस्याओं की चर्चा कर सकेंगे ।
- जनसंख्या स्थिरता दिवस (11 मई) पर जनसंख्या स्थायित्व व प्रजनन तथा बाल स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान देने वाले व्यक्तियों तथा संगठनों को सम्मानित व पुरस्कृत करने का प्रावधान किया गया है ।
- उपर्युक्त प्रावधानों के क्रियान्वयन की निगरानी हेतु मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्य जनसंख्या विकास परिषद् का गठन किया गया साथ ही इसके क्रियान्वयन में विभिन्न विभागों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए राज्य जनसंख्या क्रियान्वयन समिति गठित की गई है, जिसके अध्यक्ष मुख्य सचिव है ।
निष्कर्षतः कहा जा सकता है, कि जनसंख्या नियंत्रण के अन्य उपायों की अपेक्षा जनसंख्या स्थिरीकरण नीति अधिक प्रभावी दिखाई देती हैं, लेकिन समुचित रूप से इसका अनुपालन न हो पाना इसका दुर्बल पक्ष है। यही कारण है, कि 2000 में घोषित इस नीति के बाद 2011 की जनगणना में जनसंख्या वृद्धि दर में कमी तो आयी, लेकिन नीति में लक्षित दर को प्राप्त नहीं किया जा सका है। अतः वर्तमान में इस नीति की पुनः समीक्षा कर नये रूप में कड़ाई के साथ उसके क्रियान्वयन की महती आवश्यकता है तभी प्रदेश के विकास को गति दी जा सकेगी।
4 मध्यप्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं के सामाजिक सशक्तिकरण के लिए किए जा रहे प्रयास ?
- बालिका जन्म के प्रति सकारात्मक वातावरण निर्माण के लिए एक ओर जहां ‘लाड़ली लक्ष्मी योजना’ संचालित है, वहीं दूसरी ओर ‘बेटी बचाओ अभियान’ और ‘स्वागतम् लक्ष्मी योजना’, ‘कन्या अभिभावक पेंशन योजना’ के द्वारा समाज की मानसिकता में सकारात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास किया जा रहा है।
- बाल विवाह की रोकथाम के लिए ‘लाडो अभियान‘ ।
- बेटियों की शिक्षा-दीक्षा के लिए ‘गांव की बेटी योजना’ एवं ‘प्रतिभा किरण योजना’ संचालित है।
- ‘मुख्यमंत्री कन्या विवाह एवं निकाह योजना‘ के माध्यम से गरीब परिवार की बेटियों के विवाह कराए जा रहे हैं ।
- संस्थागत प्रसव के लिए ‘जननी सुरक्षा कार्यक्रम’ के अंतर्गत जननी एक्सप्रेस संचालित की जा रही है ।
- प्रदेश में ‘शौर्या दलों‘ के पुरुष एवं महिला सदस्य समाज में महिलाओं के प्रति होने वाली हिंसा को रोकने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। खेल के क्षेत्र में ‘महिला हॉकी अकादमी’ स्थापित की गई है ।
- घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत ‘उषा किरण योजना‘ संचालित की जा रही है।
- मध्यप्रदेश शासन द्वारा महिलाओं के प्रति अपराधों पर अंकुश लगाए जाने के उद्देश्य से पुलिस थानों में महिला डेस्क, विशेष महिला थाना, 1090 महिला कॉल सेंटर स्थापति किए गए हैं ।
- थाना स्तर पर 141 महिला डेस्क की स्थापना की गई है, जहां महिला पुलिस, महिलाओं की शिकायत सुनकर उनकी मदद करती हैं ।
- हिंसा से पीड़ित महिलाओं को मानसिक और भावनात्मक रूप से सशक्त करने तथा पीड़ा से उबारने के लिए अधिकारियों को परामर्श कौशल प्रशिक्षण दिया जा रहा है ।
- बालिकाओं को आत्म सुरक्षा और आत्म विश्वास के लिए मार्शल आर्ट व जूडो प्रशिक्षण दिया जा रहा है ।
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