MPPSC Mains Paper 3 Marker Question & Answer-
1 सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (MSMEs) तथा कुटीर उद्योगों की समस्याएँ
कच्चे माल तथा शक्ति की समस्या।
वित्त की समस्या ।
उत्पादन की पुरानी विधियाँ।
विपणन की समस्या ।
उत्पादन की ऊँची लागत ।
बड़े उद्योगों से प्रतियोति ।
अधिक कर।
विलासिताओं को अधिक महत्त्व।
अशिक्षित उद्यमी ।
2 भारतीय नियोजन के उद्देश्य
आर्थिक विकास
गरीबी उन्मूलन
रोजगार सृजन ।
आर्थिक असमानता को दूर करना।
आत्मनिर्भरता आधुनिकीकरण
समावेशिक विकास
धारणीय/पोषणीय विकास
3 राष्ट्रीय आय में वृद्धि के उपाय
जनसंख्या वृद्धि पर नियन्त्रण।
बचत और निवेश की दर में वृद्धि की जाएं।
कृषि का विकास।
उद्योगों का विकास।
विशिष्ट वित्तीय संस्थाओं का विकास।
आधारभूत सुविधाओं का विकास।
प्राकृतिक संसाधनों का उचित दोहन ।
अनुकूल व्यापार सन्तुलन ।
4 भारतीय मुद्रा बाजार की विशेषताएँ
मुद्रा व्यवस्था तीन भागों में संगठित, असंगठित व सहकारी क्षेत्र में विभाजित है तथा तीनों में सम्पर्क व सहयोग का अभाव है इसलिए तीनों में प्रचलित ब्याज दरों में भिन्नता है।
अनियंत्रित असंगठित क्षेत्र : यहाँ केन्द्रीय नियंत्रण का अभाव है।
स्वीकृति गृह व कटौती गृह का अभाव (अतः व्यापारिक बिलों का प्रयोग न के बराबर)
विकसित बिल बाजार का अभाव।
साधनों की स्वरूपता ।
अंतः बैंक व्यवस्था (अर्थात् आवश्यकता पर संगठित क्षेत्र की बैंक आपस में ऋण ले सकती है।)
अर्द्ध सरकारी विशिष्ट वित्तीय संस्थाओं की अधिकता, ये उद्योगों को दीर्घकालीन ऋण देती हैं व सरकार नियंत्रित होती है।
5 मध्यप्रदेश में पशुधन संबंधी समस्याएँ
पशु नस्ल की गुणवत्ता में गिरावट।
पशुओं का असमान वितरण।
अच्छी गुणवत्ता तथ उचित मात्रा में हरित चारे की कमी।
संगठित बाजार का अभाव।
पशु रोग एवं उनके स्वास्थ्य संबंधी देखभाल का अभाव।
वैज्ञानिक ढंग से पशु पालन के प्रशिक्षण का अभाव।
मांस प्राप्ति हेतु पशुओं का अंधाधुंध वध करना।
6 मध्यप्रदेश में बैंकिंग क्षेत्र से संबंधित चुनौतियाँ
बढ़ता हुआ एनपीए का स्तर।
कर्मचारियों की आवश्यकता से कम उपलब्धता एवं नियुक्तियाँ।
ऋण प्रदान करने की जटिल, धीमी एवं लम्बी प्रक्रिया।
अन्य साधारण कार्यो की प्रदायगी में लालफीताशाही कीउपस्थिति।
ग्रामीण क्षेत्रों में अपर्याप्त बैंकिंग शाखाएँ।
ग्रामीण क्षेत्र की अधिकांश जनता में बैंक सेवाओं की जागरूकता न होना।
ग्रामीण क्षेत्रों में कोर बैंकिंग सेवाओं के लिए अपर्याप्त आधारिक संरचना ।
जमा, बचत एवं ऋण का अपर्याप्त अनुपात। परिचालन लागतों का अधिक होना।
7 मध्यप्रदेश में होने वाली रेल दुर्घटनाओं के कारण
सुरक्षा अधिकारियों की कमी। कभी-कभी तोड़फोड़, मानव विफलता तथा संसाधनों की विफलता के परिणामस्वरूप भी रेल दुर्घटनाएँ हो जाती हैं।
किसी ट्रेन के रेड सिग्नल पार करने के पश्चात् ऑटोमेटिक रूप से ट्रेन को रोकने में उपयोगी ‘टक्कर रोधी प्रौद्योगिकी उपकरणों’ का अभाव।
तकनीकी संसाधनों को अपनाने की दिशा में धीमी गति।
आतंकवाद की बढ़ती घटनाएं।
कुछ रेल दुर्घटनाएँ पटरियों के पुराने होने और उनका यथोचित रख-रखाव न किये जाने के वजह से भी होती हैं।
रेल पटरियों पर अतिक्रमण, बस्तियाँ तथा भीड़ का होना ।
8 मध्यप्रदेश में नगरीय जनसंख्या वृद्धि के कारण
ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का अभाव।
नगरों में स्वास्थ्य, पेयजल, बिजली, परिवहन की समुचित व्यवस्था ।
नगरीय आकर्षण।
औद्योगिकीकरण।
कृषि में लाभकारी परिणाम न मिल पाना ।
लघु व कुटीर, हस्तशिल्प निर्मित सामग्री का वैश्वीकरण द्वारा विस्थापन ।
9 जनजातीय समाज की प्रमुख समस्याएँ
पृथक्करण एवं भूमि वितरण की समस्या।
स्वास्थ्य, शिक्षा, सुविधाओं का अभाव।
गरीबी एवं ऋणग्रस्तता
सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रियाओं में भाग लेने के परिणामस्वरूप उत्पन्न समस्याएँ ।
सांस्कृतिक समस्याएँ।
विस्थापन एवं पुनर्वास संबंधी समस्याएँ।
10 संस्कृति की विशेषता
संस्कृति की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार से है—
- संस्कृति समाज से सम्बंधित होती हैं
- संस्कृति मे सामाजिक गुण पाया जाता है
- संस्कृति सीखी जाती है
- संस्कृति सीखने से विकसित होती हैं
- संस्कृति संचरित होती हैं
- संस्कृति मानव आवश्यकताओं की पूर्ति करती हैं
- संस्कृति मानवीय होती हैं
- संस्कृति समूह के लिए आर्दश होती है
वैश्वीकरण का आर्थिक प्रभाव
सकारात्मक प्रभाव
- वैश्वीकरण ने अर्थव्यवस्था के स्वरूप में मूलभूत बदलावों को जन्म देते हुए ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था के विकास को संभव बनाया। जिसमें डिजाइन विकास, प्रौद्योगिकी, विपणन, बिक्री और सर्विस प्रदान करना शमिल हैं।
- वैश्वीकरण के अर्थव्यवस्था पर पड़े प्रभाव के फलस्वरूप सूचना प्रौद्योगिकी के प्रसार में गति पकड़ी और इलेक्ट्रॉनिक अर्थव्यवस्था के उभार को संभव बनाया। जिससे ई-कॉमर्स, ई-शॉपिंग, इंटरनेट बैंकिंग और ऑन-लाईन ट्रेडिंग की संकल्पना लोकप्रिय हुई।
- वैश्वीकरण ने उत्पादन प्रणाली के साथ-साथ उत्पादन के स्वरूप में बदलाव को स्वीकारते हुए, बहुराष्ट्रीय कंपनियों सीमापारीय कंपनियों के तेजी से उभार को संभव बनाया। अब वस्तुओं और सेवाओं का वैश्विक स्तर पर उत्पादन भी किया जाने लगा।
- वैश्वीकरण ने पूँजी, तकनीक, वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही पर निबंधनों को कमजोर करते हुए इनके सीमा पार प्रवाह करे त्वरित किया।
- वैश्वीकरण ने वैश्विक व्यापार और निवेश के प्रवाह को बढ़ाने का काम किया। जिससे आर्थिक संवृद्धि दर में तेजी आई। विशेष रूप से इसका लाभ भारत, चीन, ब्राजील और मैक्सिकों जैसी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को मिला।
- वैश्वीकरण से उपभोक्ता वस्तुओं पर आधारित उद्योगों का तेजी से विकास हुआ। इसने उपभोक्तावादी संस्कृति के वर्चस्व को स्थापित करते हुए बाजार संभावनाओं को विस्तार प्रदान करने में अहम भूमिका निभाई। जैसे- ऑटोमोबाइल्स, मोबाइल, व्हाइट गुड्स (इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएँ), कोल्ड ड्रिंक, जंक फूड, बैंकिंग आदि।