
मध्यप्रदेश का स्वतंत्रता संग्राम प्रश्न पत्र एम.ए. इतिहास के पाठ्यक्रम में जब शामिल किया गया तो महाविद्यालय के इतिहास के विद्यार्थियों ने न केवल इस प्रश्न-पत्र को पढ़ने की उत्सुकता दिखाई वरन इसे नियमित रूप से पढ़ाने के लिये दबाव भी बनाया। कारण अपने अंचल को करीब से जानना था। इस बा वी अपने अंचल के अपने आस-पास के, अपने रिश्तों के उन अनजाने वीर शहीदों, रणबांकुरों से रूबरू हो सकेंगे जो अभी जीवित हैं और जिन्हें अभी इतिहास के पन्नों पर जगह नहीं मिल पाई।
About Mp History Book
सम्पूर्ण पाठ्यक्रम पाँच इकाई में विभाजित है। पहली इकाई के प्रथम अध्याय में मध्यप्रदेश में स्वतंत्रता संग्राम से सम्बन्धित स्रोत सामग्री का विवेचन है। प्राथमिक स्रोत एवं द्वितीयक स्रोत के रूप में कौन-कौन सी सामग्री का उपयोग कर सकते हैं इसका वर्णन किया गया है। द्वितीय अध्याय में मध्यप्रदेश का स्वरूप आज से पहले क्या था? उसकी सीमायें क्या थी? उसका निर्माण कैसे हुआ आदि तथ्यों का विवेचन किया गया हैं। अध्याय तृतीय में 19वीं सदी के मध्य तक मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का वर्णन है। राजनैतिक घटनाक्रमों के बीच मध्यप्रदेश में घटित घटनाओं का क्रमशः विवेचन किया गया हैं। अध्याय चतुर्थ में राष्ट्रवाद के उदभव एवं विकास पर प्रकाश डाला गया है। ‘किस तरह मध्यप्रदेश का जनमानस शोषण के खिलाफ उठ खड़ा हुआ और देश की मुख्य धारा से जुड़ गया
द्वितीय इकाई के अध्याय पंचम में नर्मदी-सागर क्षेत्र में हुये बुन्देला विद्रोह का वर्णन है जिसके साथ ही यह क्षेत्र राष्ट्रीय आन्दोलन के समरे में कूद पड़ा। अध्याय षष्ठ में मध्यप्रदेश में 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के कारण, घटना, परिणामों का वर्णन है। किस तरह ईस्ट इण्डिया कम्पनी और लार्ड डलहौजी की हड़प नीति ने मध्यप्रदेश के अवाम को आन्दोलन के लिये प्रेरित किया और 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के कारणों की पृष्ठभूमि निर्मित हुई। इसका विवेचन किया गया है। अध्याय सप्तम् में मध्यप्रदेश के सागर नर्मदा क्षेत्र, ग्वालियर, इन्दौर, भोपाल, रीवा, बुन्देलखण्ड में 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के स्वरूप का वर्णन हैं।
“इकाई तृतीय के अध्याय अष्टम में मध्यप्रदेश के महाकौशल, ग्वालियर, इन्दौर, भोपाल, रीवा, बुन्देलखण्ड में असहयोग आन्दोलन का विवेचन किया गया है। 1920 का समय भारतीय इतिहास का वह समय था जब आजादी के आन्दोलन की बागडोर गांधी जी के हाथ मे आ गई थी।
इकाई चतुर्थ के अध्याय ग्यारह में जन आन्दोलन के रूप में प्रजामण्डल में का वर्णन है। समय के इस काल खण्ड में रियासतों की प्रजा ने आन्दोलन के सूत्र से अपने हाथ में लिये और मध्यप्रदेश के कोने-कोने में प्रजामण्डल का गठन हो गया। अध्याय बारह में 1947 का वह स्वर्णिम और दुःखद पहलू वर्णित है जब भारत विभाजन की त्रासदी के साथ आजाद हुआ। अध्याय तेरह समाज के उस वर्ग को समर्पित है जो आज भी उपेक्षित है और अपने अधिकारों के लिये संघर्षरत है। मध्यप्रदेश के सुदूर अंचलों में रहने वाली जनजाति अंग्रेजों के शोषण के खिलाफ लड़ते-लड़ते आजादी के आन्दोलन से जुड़ गई। अध्याय चौदह सभ्यता और संस्कृति की जननी नारी के उस अमूल्य योगदान को सहेजे हुये है जो उसने देश की आजादी के लिये दिया। अपने पति, बेटे, भाई, पिता और स्वयं को उसने देश में की बलिवेदी पर न्यौछावर कर दिया।
• इकाई पंचम का अध्याय पन्द्रह मध्यप्रदेश के उन स्थानीय स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित है जिनके खून-पसीने की बूंदों के बिना हम आजादी का स्वर्णविहान देख ही नहीं सकते थे। अध्याय सोलह में भोपाल और विन्ध्य प्रदेश के विलीनीकरण की घटनायें समाहित हैं। अध्यायं सत्रह में आजादी के संघर्ष के परिणामों का विश्लेषण है। संघर्ष के परिणाम के रूप में आजादी मिली पर साथ में विभाजन, साम्प्रदायिक हिंसा विरासत में मिल गई। इसी के आदर्शवादी दृष्टिकोण की व्याख्या की गई है।
मध्यप्रदेश का इतिहास विषय रूपरेखा
Mp History इकाई 1
मध्य प्रदेश में स्वतंत्रता संग्राम के स्त्रोत
मध्य प्रदेश का स्वरूप इतिहास के पन्नों में
19 वी सदी के मध्य प्रदेश की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
राष्ट्रवाद का उद्भव एवं विकास

Mp History इकाई 2
बुंदेला विद्रोह मध्यप्रदेश में 1857 का स्वतंत्रता संग्राम कारण घटना परिणाम
मध्यप्रदेश में 1857 का स्वतंत्रता संग्राम
- सागर
- नर्मदा क्षेत्र
- ग्वालियर
- इंदौर
- भोपाल
- रीवा
- बुंदेलखंड

Mp History इकाई 3
मध्य प्रदेश के विभिन्न अंचलों में असहयोग आंदोलन महाकौशल
- ग्वालियर
- इंदौर
- भोपाल
- रीवा
- बुंदेलखंड
मध्य प्रदेश के विभिन्न अंचलों में सविनय अवज्ञा आंदोलन
- महाकौशल
- ग्वालियर
- इंदौर
- भोपाल
- रीवा
- बुंदेलखंड
मध्य प्रदेश के विभिन्न अंचलों में भारत छोड़ो आंदोलन
- महाकौशल
- ग्वालियर
- इंदौर
- भोपाल
- रीवा
- बुंदेलखंड

Mp History इकाई 4
मध्य प्रदेश के विभिन्न रियासतों में प्रजामंडल
स्वतंत्रता और विभाजन
मध्यप्रदेश स्वतंत्रता में जनजातियों की भागीदारी
स्वाधीनता आंदोलन में मध्यप्रदेश की महिलाओं का योगदान

Mp History इकाई 5
मध्यप्रदेश के प्रमुख स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और वीरांगना
रियासतों का विलीनीकरण
आजादी के संघर्ष के परिणाम और आदर्शवादी दृष्टिकोण
