कृषि यंत्र पर सब्सिडी 2025: सरकार ने बदल दिए नियम, किसानों को अब करना होगा यह जरूरी कदम!

जानिए कृषि यंत्रों पर अनुदान के लिए दिशा‑निर्देश और आवेदन प्रक्रिया

कृषि यंत्र अनुदान योजना 2025 सरकार की एक पहल है, जिसका मकसद किसानों को आधुनिक यंत्र सस्ते दामों पर उपलब्ध कराना है। यह योजना अलग-अलग प्रदेशों में विभिन्न नामों से चलती है—जैसे “कृषि यंत्र सब्सिडी योजना”, “कृषि यंत्रीकरण योजना”, “ई‑कृषि यंत्र अनुदान योजना” आदि। इन योजनाओं के तहत किसानों को 50 से 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है। लेकिन कई किसान नियमों और शर्तों का ठीक‑ठीक जानकार नहीं होने से लाभ नहीं उठा पाते।

इसी समस्या को देखते हुए प्रदेश सरकार ने खेती में सहायता के लिए कृषि यंत्र अनुदान से जुड़ी सभी आवश्यक जानकारियां साफ-सुथरे दिशा‑निर्देशों के रूप में जारी की हैं। इनको पढ़ना हर किसान के लिए जरूरी है ताकि किसी तरह का भ्रम न हो और वे पूरा लाभ प्राप्त कर सकें।


इस योजना का लाभ किसे मिलता है?

उत्तर प्रदेश सरकार ने “Sub‑Mission on Agricultural Mechanization” (SMAM) के नाम से जो योजना चलाई है, वह कृषि यंत्रों पर भारी सब्सिडी देती है। इसके अलावा “Mechanization for In‑Situ Management of Crop Residue” जैसी परियोजनाओं से भी सब्सिडी मिलती है। इन योजनाओं में आधुनिक यंत्र जैसे ड्रोन, थ्रेसर, ट्रैक्टर, पावर टिलर, रोटावेटर, हार्वेस्टर, प्लांटर और कस्टम‑हायरिंग सेंटर शामिल हैं, जिनकी खरीद पर 50–80% तक का अनुदान मिलता है। इससे न केवल समय बचता है, बल्कि श्रम की लागत और उत्पादन खर्च भी घटता है। उत्पादन बढ़ने से किसान की आय भी बढ़ती है।


सब्सिडी के लिए आवेदन कैसे करें?

इन योजनाओं का लाभ केवल ऑनलाइन आवेदन के जरिए ही मिलता है। किसान पहले आधिकारिक पोर्टल (agridarshan.up.gov.in) पर पंजीकरण करते हैं। उसके बाद OTP आधारित मोबाइल सत्यापन होता है, फिर वे अपने पसंदीदा यंत्र का चयन करते हैं। आवेदन फॉर्म भरकर जरूरी दस्तावेज अपलोड करने होते हैं। इसके बाद सब्सिडी की राशि सीधे बैंक अकाउंट में DBT (डायरेक्ट बेनिफिशियरी ट्रांसफर) के माध्यम से भेजी जाती है।


किस कंपनी से करें यंत्र खरीदें?

सरकार की ई‑लॉटरी प्रक्रिया पारदर्शी होती है। इसी पोर्टल पर पंजीकृत कंपनियों से ही किसानों को यंत्र खरीदना चाहिए। अन्य किसी अनरजिस्टर कंपनी से खरीदी गई मशीनों पर सब्सिडी नहीं मिलेगी।


खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखें?

  1. फर्म/डीलर से लिए गए पंजीकरण संख्या, आधार, टोकन नंबर, नाम‑गांव जैसी जानकारी आवेदन फॉर्म में सही दर्ज करें।
  2. खरीद की वैधता के लिए ई‑वे बिल अवश्य लें।
  3. मशीन पर लेजर कटिंग सीरियल नंबर होना अनिवार्य है।

भुगतान के लिए क्या नियम हैं?

किसान को अपनी तरफ से खरीद लागत का कम से कम 50 % भुगतान खुद के खाते से करना ज़रूरी है। अगर किसान साक्षर नहीं है और चेक बुक नहीं रख सकता, तो उसके परिवार के (माता‑पिता, भाई, अविवाहित बहन, पुत्र, अविवाहित पुत्री, वधू) किसी सदस्य के खाते का उपयोग कर सकता है।


मशीन की सत्यापन प्रक्रिया

अगर अनुदान ₹10,000 से अधिक है, तो किसानों को ₹100 स्टांप पेपर पर नोटरी शपथ पत्र बनवाना होता है। फिर सब्सिडी मिलने से पहले संबंधित जिला कृषि निदेशक या अधिकारी पोर्टल और भौतिक सत्यापन करते हैं। पोर्टल agridarshan.up.gov.in पर उपलब्ध किसानों की जानकारी सही है या नहीं, और मशीन वास्तव में जगह पर मौजूद है या नहीं—इन सबकी जांच होती है।


कितनी बार इस योजना का लाभ मिल सकता है?

  • मानव‑चालित या पशु‑चालित यंत्र: एक बार अनुदान पाने के बाद 3 वर्षों तक वही प्रकार का यंत्र प्राप्त नहीं किया जा सकता।
  • शक्ति‑चालित यंत्र: 5 वर्ष बाद फिर अगला यंत्र मिलने का मौका मिलता है।
  • ट्रैक्टर, फार्म मशीनरी बैंक, हाई‑टेक कस्टम‑हायरिंग हब जैसे उपकरणों पर, पुन: अनुदान 10 वर्षों के बाद ही मिलता है।

ऑनलाइन आवेदन की Step-by-Step प्रक्रिया

  1. आधिकारिक पोर्टल (agridarshan.up.gov.in) पर लॉगिन करें।
  2. “Kisan Corner” सेक्शन में “Yantra Booking Prarambh” लिंक पर जाएं।
  3. मोबाइल OTP से सत्यापन करें।
  4. अपनी पसंद का कृषि यंत्र चुनें।
  5. दस्तावेजों के साथ आवेदन फॉर्म भरें और सबमिट करें।

इस तरह आपका आवेदन पूरा हो जाएगा, और चयनित होने पर कृषि यंत्र की खरीद के लिए अनुदान आपको मिलना शुरू हो जाएगा।


लाभार्थी चयन का तरीका

  • ₹10,000 तक की सब्सिडी वाले यंत्रों की रसीद 10 दिनों के भीतर अपलोड करनी होती है।
  • ₹10,000 से ऊपर की सब्सिडी वाले मशीनों के लिए ई‑लॉटरी होती है। इसके लिए ₹2,500–₹4,000 रिफंडेबल बुकिंग फीस देना आवश्यक है।
  • ई‑लॉटरी में चयनित किसानों को ही आगे खरीद की अनुमति मिलती है।

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