Aigiri Nandini Lyrics | Mahishasura Mardini stotram | महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र

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Aigiri Nandini Lyrics in Hindi

Aigiri Nandini Lyrics in Hindi : महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र हिंदी में एक भक्तिमय संस्कृति है जो हिन्दू देवी दुर्गा को समर्पित है। यह स्तोत्र विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान चंदीपाठ के रूप में चंदीमा दुर्गा का आदर्श रूप बताने के लिए प्रशंसा करता है। इस स्तोत्र में दुर्गा का जय घोषित किया जाता है और उनकी शक्ति, महिमा और विजय का वर्णन किया जाता है। इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ गाया जाता है ताकि माता दुर्गा की कृपा मिले और भक्त को सुरक्षा, समृद्धि और शांति प्राप्त हो।

aigiri nandini lyrics in hindi with meaning

अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते

गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते ।

“जो गिरिराज हिमालय के शिरे पर निवास करने वाली हैं, जिन्होंने सम्पूर्ण विश्व को आनंदित किया है, जो विष्णु को आनंदित करती हैं, उन माता दुर्गा को नमस्कार करते हैं।”

यह मंत्र माता दुर्गा की महिमा, उनके समृद्धि और खुशहाली को स्तुति करता है। इसके माध्यम से भक्त उन्हें आराधना करते हैं और उनसे कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥

मंत्र का अर्थ है:

“हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि, जो संसार के सभी भूओं की रक्षा करती हैं, जो सभी भूतों को प्रतिस्थित करती हैं, हे महिषासुरमर्दिनि, जो रमणीय मुकुटधारिणी हैं, जो पर्वतराज हेमगर्भसम्भवे जय हो।”

इस मंत्र के माध्यम से भक्त दुर्गा माता की महिमा का गान करते हैं। उन्हें संसार के सभी भूतों की रक्षा करने की क्षमता और पर्वतराज हेमगर्भसम्भवे के रूप में उनकी महानता की प्राप्ति हो। इसके माध्यम से भक्त अपनी समस्त संकटों का नाश और सुख-शांति की प्राप्ति के लिए माता दुर्गा की कृपा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते

त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते

दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिन्धुसुते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥

मंत्र का अर्थ है:

“हे जिसका वर्षा करने से सुरों को आनंद मिलता है, जिसका सामर्थ्य अत्यंत कठिन और दुर्जय है, जिसके द्वारा दुष्ट मुखों को नष्ट किया जाता है, जो त्रिभुवन की पोषणा करती है, जिन्होंने शंकर को प्रसन्न किया है, जो पापों को नष्ट करने वाली हैं, जिनके द्वारा दानवों की क्रोधना की जाती है, जिन्होंने दिति के पुत्रों को नष्ट किया है, जो मोह द्वारा मनुष्यों को नष्ट करती हैं, हे सिन्धु की संतान, तुम्हें जय हो। हे महिषासुरमर्दिनि, जो रमणीय मुकुटधारिणी हैं, जो पर्वतराज हेमगर्भसम्भवे, तुम्हें जय हो।”

अयि शतखण्ड विखण्डितरुण्ड वितुण्डितशुण्द गजाधिपते
रिपुगजगण्ड विदारणचण्ड पराक्रमशुण्ड मृगाधिपते ।
निजभुजदण्ड निपातितखण्ड विपातितमुण्ड भटाधिपते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥

मंत्र का अर्थ है:

“हे शतखण्ड और विखण्डित रुण्ड, वितुण्डित शुण्ड, गजाधिपति (हाथीशासक)। रिपुगणों के गण्ड को चीरते हुए, विदारणचण्ड (भयभीत करने वाली) और पराक्रमशुण्ड (वीरता की संकेतिका)। मृगों के अधिपति, अपने हाथ की दण्ड से काटे हुए, तुण्ड से अवशेष छोड़कर, भटों के अधिपति। तुम्हें जय हो। हे महिषासुरमर्दिनि, जो रमणीय मुकुटधारिणी हैं, जो पर्वतराज हेमगर्भसम्भवे, तुम्हें जय हो।”

इस मंत्र के माध्यम से भक्त दुर्गा माता की महिमा का गान करते हैं। उन्हें उनकी भयभीत करने वाली और वीरता की प्रतीकता, विजय के संकेत,निर्भयता के प्रतीक और भटों के अधिपति होने का उल्लेख होता है। माता दुर्गा की उग्रता, साहसिकता, वीरता और अद्भुत शक्ति की प्रशंसा की जाती है। यह मंत्र भक्तों को दुर्गा माता की शक्ति और क्षमता को स्मरण करने के लिए प्रेरित करता है और उन्हें उनकी विजय की कामना करता है।

अयि जगदम्ब मदम्ब कदम्ब वनप्रियवासिनि हासरते
शिखरि शिरोमणि तुङ्गहिमलय शृङ्गनिजालय मध्यगते ।
मधुमधुरे मधुकैटभगञ्जिनि कैटभभञ्जिनि रासरते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥

मंत्र का अर्थ है:

“हे जगदम्बा, मदम्बा, कदम्ब वन के प्रिय वासिनी, हे हासरते (मुस्कान करने वाली), जिन्होंने शिखर पर हिमालय की श्रृंगार रचाई है, जो मधुर गान के मधुभंजनी हैं, कैटभ राक्षसों को ध्वंस करने वाली हैं, हे रासरते (नृत्य करने वाली), तुम्हें जय हो। हे महिषासुरमर्दिनि, जो रमणीय मुकुटधारिणी हैं, जो पर्वतराज हेमगर्भसम्भवे, तुम्हें जय हो।”

इस मंत्र के माध्यम से भक्त दुर्गा माता की महिमा का गान करते हैं। उन्हें उनके सुन्दर विलासिता, हिमालय के शिखर पर आवास करने की महानता, और उनके द्वारा कैटभ राक्षसों के वध की गाथा का स्मरण होता है।

अयि रणदुर्मद शत्रुवधोदित दुर्धरनिर्जर शक्तिभृते
चतुरविचार धुरीणमहाशिव दूतकृत प्रमथाधिपते ।
दुरितदुरीह दुराशयदुर्मति दानवदुत कृतान्तमते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥

मंत्र का अर्थ है:

“हे युद्ध में अत्यंत मदित, शत्रुओं का वध करने वाली, दुर्धर निर्जर शक्तियों की पालक, चतुर्वेदों का आधार, महाशिव के दूतों द्वारा स्तुत, प्रमथ गणों के अधिपति। दुर्मति, दुराशा, दुर्मति, दानवों के विनाशक, कृतान्त रूप में प्रकट होने वाली। तुम्हें जय हो। हे महिषासुरमर्दिनि, जो रमणीय मुकुटधारिणी हैं, जो पर्वतराज हेमगर्भसम्भवे, तुम्हें जय हो।”

इस मंत्र के माध्यम से भक्त दुर्गा माता की शक्ति, साहस, और विजय की प्रशंसा करते हैं। उन्हें दुर्मति और दुराशाओं का नाश करने वाली, दुर्गा माता के द्वारा प्रकट होने वाली दिव्य शक्ति का आभास होता है और उन्हें उनकी अद्भुत गुणों की महिमा स्मरण करने के लिए प्रेरित करता है। यह मंत्र भक्तों को दुर्गा माता की शक्ति और सामरिक क्षमता के लिए प्रेरित करता है और उन्हें उनकी विजय की कामना करता है।

अयि शरणागत वैरिवधुवर वीरवराभय दायकरे

त्रिभुवनमस्तक शुलविरोधि शिरोऽधिकृतामल शुलकरे ।

दुमिदुमितामर धुन्दुभिनादमहोमुखरीकृत दिङ्मकरे

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥

मंत्र का अर्थ है:

“हे वैरियों के वध करने वाली, वीरों के श्रेष्ठ, भय का नाश करने वाली, शिरों को कटा हुआ, शुलकरों का विनाश करने वाली, जिनका मस्तक त्रिभुवन (तीनों लोकों) को ढंकने वाला है। जिनके मुख से दमरु की ध्वनि और धुन्दुभि की गर्जना उत्पन्न होती है। तुम्हें जय हो। हे महिषासुरमर्दिनि, जो रमणीय मुकुटधारिणी हैं, जो पर्वतराज हेमगर्भसम्भवे, तुम्हें जय हो।”

इस मंत्र के माध्यम से भक्त दुर्गा माता की उग्रता, वीरता, और अद्भुत शक्ति की प्रशंसा करते हैं। उन्हें भय के प्रति निर्भयता, शत्रुओं के विनाश, और सामरिक सफलता की प्राप्ति की कामना करता है।

अयि निजहुङ्कृति मात्रनिराकृत धूम्रविलोचन धूम्रशते
समरविशोषित शोणितबीज समुद्भवशोणित बीजलते ।
शिवशिवशुम्भ निशुम्भमहाहव तर्पितभूत पिशाचरते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥

मंत्र का अर्थ है:

“हे धूम्रविलोचन, जिनकी उपस्थिति से धूम्र की तरह आपर्याप्त और तिमिर से युक्त होती है, जो शोणितबीज को शक्तिशाली बनाती हैं और शोणितबीज के रक्त से उत्पन्न होती हैं॥ जो शिव और शुम्भ को संहार करती हैं, जो महाहव के बलिदान से पिशाचों को संतुष्ट करती हैं॥ तुम्हें जय हो। हे महिषासुरमर्दिनि, जो रमणीय मुकुटधारिणी हैं, जो पर्वतराज हेमगर्भसम्भवे, तुम्हें जय हो।”

इस मंत्र के माध्यम से भक्त दुर्गा माता की वीरता, उपहारों की प्राप्ति, और पिशाचों के विनाश की प्रार्थना करते हैं। यह मंत्र उन्हें दुर्गा माता की प्रतिभा और प्रभावशाली शक्ति को स्मरखने के लिए प्रेरित करता है। इस मंत्र के माध्यम से भक्त दुर्गा माता की कृपा, सुरक्षा, और शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

धनुरनुषङ्ग रणक्षणसङ्ग परिस्फुरदङ्ग नटत्कटके

कनकपिशङ्ग पृषत्कनिषङ्ग रसद्भटशृङ्ग हताबटुके ।

कृतचतुरङ्ग बलक्षितिरङ्ग घटद्बहुरङ्ग रटद्बटुके

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥

इसका अर्थ है:

“हे जिनका धनुष रणमंडल में खिंचा हुआ है, जिनकी साथ संगणी की लहरें सुरमयता से उठती हैं, जो स्वर्ण के पशुपट्टे पहने हैं और किरीट धारण करती हैं॥ जो भगवान विष्णु की श्रृंगारित नगरी पर पल्लवित हुई हैं, जिनके आभूषण चमक रहे हैं॥ जिनका आवागमन चतुर्भुज से हो रहा है, जिनकी शक्ति बहुत प्रभावशाली है और जो बहुत सारे समर्थकों के साथ आ रही हैं॥”

इस मंत्र के माध्यम से भक्त दुर्गा माता की महिषासुरमर्दिनी रूप की महिमा का गुणगान करते हैं और उनकी विजय की प्रार्थना करते हैं। यह मंत्र उन्हें वीरता, साहस, और संकट से मुक्ति की प्राप्ति के लिए प्रेरित करता है।

सुरललना ततथेयि तथेयि कृताभिनयोदर नृत्यरते
कृत कुकुथः कुकुथो गडदादिकताल कुतूहल गानरते ।
धुधुकुट धुक्कुट धिंधिमित ध्वनि धीर मृदंग निनादरते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥

इसका अर्थ है:

“हे जिनकी गति सुरों की मधुर ललना है, जिनका अद्वितीय नृत्य आभिनय से युक्त है। जिनकी आवाज क्रूरता से भरी हुई है, जो गडगडाहट, धूधूधूधू संगीत और उत्साह से भरी हुई है। जिनकी ताल का शब्द धुधुकुट, धुक्कुट और धिंधिमित है, जिनकी वाद्य यंत्र की धीरज और मृदंग के नाद से युक्त है॥”

यह मंत्र दुर्गा माता की कलात्मक और संगीतमय रूप की प्रशंसा करता है। इसके माध्यम से भक्त उनकी सुंदर नृत्य और संगीत की प्रशंसा करते हैं और उनकी कला, ध्वनि, और महिमा का गुणगान करते हैं। इस मंत्र के जाप से भक्त दुर्गा माता के सान्निध्य, आनंद, और कला का अनुभव करते हैं।

जय जय जप्य जयेजयशब्द परस्तुति तत्परविश्वनुते
झणझणझिञ्झिमि झिङ्कृत नूपुरशिञ्जितमोहित भूतपते ।
नटित नटार्ध नटी नट नायक नाटितनाट्य सुगानरते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥

इसका अर्थ है:

“हे जय जय, वाचक और सुनने योग्य शब्दों के जप से तुझको प्रशंसा मिले। हे झनझन करने वाली, झिञ्झिमि करने वाली, नूपुर से जिनका मन मोहित होता है, भूतों के प्रभु तुझे नमस्कार करते हैं। तू एक महानाटक-नाट्य करने वाली, नाटिका का आधा हिस्सा, नाटक के प्रमुख अभिनेता, जो नाट्य और गान में रसानुभव में लीन रहते हैं॥”

इस मंत्र के जाप से भक्त दुर्गा माता की अनंत कलाओं, नाट्य और गीत की प्रशंसा करते हैं और उनकी कला, अभिनय, और संगीत के आनंद को अनुभव करते हैं।

अयि सुमनःसुमनःसुमनः सुमनःसुमनोहरकान्तियुते

श्रितरजनी रजनीरजनी रजनीरजनी करवक्त्रवृते ।

सुनयनविभ्रमर भ्रमरभ्रमर भ्रमरभ्रमराधिपते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥

इसका अर्थ है:

“हे सुमनःसुमनःसुमनः, जो मनोहर कान्ति से युक्त है। तू रजनी के श्रितजनी है, जो रात्रि में आँखों की चमक है और जो चमक वाली है, तेरा वदन चन्द्रमा के समान है। हे भ्रमरविभ्रमर, जो मधुमक्खी के जैसे चक्कर लगाता है, तू भ्रमरों के अधिपति है॥”

इस मंत्र के जाप से भक्त दुर्गा माता की प्रशंसा करते हैं, उनकी सुंदरता को स्तुति करते हैं और उनके चमकते हुए चेहरे की तुलना चंद्रमा से करते हैं। इसके साथ ही, भ्रमर भगवान की तुलना करते हैं, जो मधुमक्खियों के चक्कर लगाते हैं।

सहितमहाहव मल्लमतल्लिक मल्लितरल्लक मल्लरते
विरचितवल्लिक पल्लिकमल्लिक झिल्लिकभिल्लिक वर्गवृते ।
शितकृतफुल्ल समुल्लसितारुण तल्लजपल्लव सल्ललिते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥

अर्थ है:

“हे सहितमहाहव, जिसका मन और हवा में गुणगुणाता है, तू मल्लिका के बीच में विराजमान है, जो फूलों की झलक और ताली ध्वनि में खेलती है। तू विरचित वल्लिका, पल्लिका, मल्लिका, झिल्लिका और भिल्लिका के समान है, जो विभिन्न आकृतियों का प्रतिनिधित्व करती है। तू शीतकृत फूलों से सुशोभित, ताजगी के फुलों से लज्जित है॥”

इस मंत्र के जाप से भक्त दुर्गा माता की प्रशंसा करते हैं, उनके सुंदर रूप को स्तुति करते हैं, उनकी महिमा का वर्णन करते हैं और उनके ताजगी के फूलों से लज्जित होते हैं।

अविरलगण्ड गलन्मदमेदुर मत्तमतङ्ग जराजपते

त्रिभुवनभुषण भूतकलानिधि रूपपयोनिधि राजसुते ।

अयि सुदतीजन लालसमानस मोहन मन्मथराजसुते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥

इसका अर्थ है:

“हे अविरल गण्ड, जिसका विस्तार अपरिमित है, जो मदमें लीन है और विक्षिप्त मतङ्ग के समान है। तू त्रिभुवन की आभूषण, भूतों की कला का संग्रह करने वाली, रूपों का संग्रह करने वाली, राजकुमारी है। हे सुदतीजनों को आकर्षित करने वाली, लालसामानसिक मोहने वाली, मन्मथ (कामदेव) की पुत्री हे राजकुमारी॥”

इस मंत्र के जाप से भक्त दुर्गा माता की प्रशंसा करते हैं, उनके सुंदर रूप को स्तुति करते हैं, उनकी महिमा का वर्णन करते हैं और उनके मोहन स्वरूप को आदर्श मानते हैं।

कमलदलामल कोमलकान्ति कलाकलितामल भाललते

सकलविलास कलानिलयक्रम केलिचलत्कल हंसकुले ।

अलिकुलसङ्कुल कुवलयमण्डल मौलिमिलद्बकुलालिकुले

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥

इसका अर्थ है:

“हे कमल के फूलों की माला धारण करने वाली, कोमलकान्ति से प्रकाशित होने वाली, जिनके बाल कलाओं से भूषित हैं, जिनकी माथे पर तिलक है। वे सभी विलासों की आदि हैं, कलाओं के सागर में स्थित हैं, कलाओं के चलने वाले हंसों की संख्या में हैं। उनके शरीर पर एक से अधिक आभूषण मंडल हैं, जो मुड़कर मिलते हैं।”

इस मंत्र के जाप से भक्त दुर्गा माता की प्रशंसा करते हैं, उनकी सुंदरता को स्तुति करते हैं, उनकी कलाओं की महिमा का वर्णन करते हैं और उनके आभूषणों की सराहना करते हैं।

करमुरलीरव वीजितकूजित लज्जितकोकिल मञ्जुमते
मिलितपुलिन्द मनोहरगुञ्जित रञ्जितशैल निकुञ्जगते ।
निजगणभूत महाशबरीगण सद्गुणसम्भृत केलितले

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ 

इसका अर्थ है:

“हे करमुरली ध्वनि से विजित कूक करने वाली, शर्मिंदा हुए कोकिल के समान अत्यंत मनोहर, पुलिंद राजा के मिलन से मनोहर गूंजने वाली, शैल निकुञ्ज में रञ्जित होने वाली॥ अपने गणों द्वारा परिवारित हुई महाशबरीगण, सद्गुणों से संपन्न, खेलते हुए प्रदर्शित होने वाली॥”

इस मंत्र के जाप से भक्त दुर्गा माता की प्रशंसा करते हैं, उनकी सुंदरता को स्तुति करते हैं, उनकी ध्वनियों और गूंज की महिमा का वर्णन करते हैं और उनके गणों की सराहना करते हैं।

कटितटपीत दुकूलविचित्र मयुखतिरस्कृत चन्द्ररुचे

प्रणतसुरासुर मौलिमणिस्फुर दंशुलसन्नख चन्द्ररुचे

जितकनकाचल मौलिमदोर्जित निर्भरकुञ्जर कुम्भकुचे

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥

इसका अर्थ है:

“हे जिनकी कटिपरिधि पीत वस्त्रों से विचित्र मणियों से आभूषित है, जिनकी चांदी के तेजस्वी चेहरे की रौशनी से प्रकाशित है, जिनके सुरों और असुरों ने प्रणाम किया है, जिनके नाखूनों की चांद्रमा की तरह चमक रही है॥ जिन्होंने किनारे से जीता हुआ सोने का मुकुट पहना है, जिन्होंने हाथी के आकार के घुटने पहने हैं, जिनके सीने में स्तन हैं जो सोने के कुम्भ की तरह हैं॥”

इस मंत्र के जाप से भक्त दुर्गा माता की प्रशंसा करते हैं, उनकी शोभा को स्तुति करते हैं, उनके चेहरे की चमक और रौशनी की महिमा का वर्णन करते हैं, और उनके विजयी स्वरूप और रौद्रता की सराहना करते हैं॥

विजितसहस्रकरैक सहस्रकरैक सहस्रकरैकनुते

कृतसुरतारक सङ्गरतारक सङ्गरतारक सूनुसुते ।

सुरथसमाधि समानसमाधि समाधिसमाधि सुजातरते ।

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥

इसका अर्थ है:

“हे जिनके हजारों हाथ हैं, हजारों हाथ हैं, हजारों हाथों से नमस्कार किए जाते हैं। जिन्होंने सूर्य को जीता है, संग्राम को जीता है, संग्राम को जीता है और जिनकी सन्तान सूर्य से उत्पन्न हुई है॥ जिन्होंने देवताओं की समाधि को प्राप्त किया है, मन की समाधि को प्राप्त किया है, ध्यान की समाधि को प्राप्त किया है, और जिनकी उत्पन्नता सुन्दरता से हुई है॥”

इस मंत्र के जाप से भक्त दुर्गा माता की प्रशंसा करते हैं, उनकी शक्ति और महिमा का वर्णन करते हैं, और उनकी विजय को सराहते हैं॥

पदकमलं करुणानिलये वरिवस्यति योऽनुदिनं सुशिवे
अयि कमले कमलानिलये कमलानिलयः स कथं न भवेत् ।
तव पदमेव परम्पदमित्यनुशीलयतो मम किं न शिवे

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥

इसका अर्थ है:

“हे करुणा के निवास स्थान परम करुणामयी देवी, जो दिनभर सुखदायिनी हैं। हे कमले (देवी) जो कमल में वास करती हैं, कमल की आश्रयधारिणी हैं, वह कैसे नहीं हो सकती हैं? तुम्हारे पाद ही मेरे लिए परम गति हैं, इसे ध्यान में रखकर क्या मुझे न शिव मिलेगा॥”

इस श्लोक के माध्यम से भक्त देवी की करुणा, सहानुभूति और महत्व का वर्णन करते हैं। उनकी प्रसन्नता के लिए उनके पादों का चिंतन किया जाता है और उनसे भगवान शिव की प्राप्ति की प्रार्थना की जाती है॥

कनकलसत्कलसिन्धुजलैरनुषिञ्चति तेगुणरङ्गभुवम्

भजति स किं न शचीकुचकुम्भतटीपरिरम्भसुखानुभवम् ।

तव चरणं शरणं करवाणि नतामरवाणि निवासि शिवम्

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥

इसका अर्थ है:

“हे जिनके पैर स्वर्ण के लद्दक जल से निर्मित हैं, जिनकी महिमा देवताओं के साथी के रूप में गहरे गुणों से पूर्ण हैं। क्या वह नहीं भजती हैं जो शची (माता पार्वती) के स्तन कुम्भ शैली की आनंद से भरी हुई परिपूर्णता का अनुभव करती हैं। मैं आपके पादों की शरण लेता हूँ, आपकी पूजा करता हूँ, आपका निवास स्थान हूँ, हे शिवम्!”

इस श्लोक में देवी की प्रभावशाली महिमा, आनंदमयी स्वरूपता और उनके चरणों की महिमा का वर्णन किया गया है। भक्त देवी की प्रत्यशा और पूजा में आपकी शरण लेते हैं और वह उन्हें शिव की प्राप्ति देती हैं॥

तव विमलेन्दुकुलं वदनेन्दुमलं सकलं ननु कूलयते

किमु पुरुहूतपुरीन्दु मुखी सुमुखीभिरसौ विमुखीक्रियते ।

मम तु मतं शिवनामधने भवती कृपया किमुत क्रियते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥

इसका अर्थ है:

“हे जिनका चेहरा चंद्रमा के समान शुद्ध और तेजस्वी है, जिनका संपूर्ण शरीर मंगलमय है। क्या वह नहीं विमुख होती है जब धरती पर विभिन्न प्रकार के पूजारी उनकी ओर मुँह करके उन्हें अपमानित करते हैं? मेरा मत है कि आपके शिवनाम के मध्य में मेरी प्रार्थना आपकी कृपा से क्या अनुपालन करती है?”

इस श्लोक में भक्त का सन्देश है कि महिषासुरमर्दिनी देवी की प्रत्यशा और पूजा में वह अनुरूप नहीं हैं, लेकिन उन्हें अपने मन में शिव के नाम की ध्यान में रखकर उनसे कृपा याचना करता है॥

अयि मयि दीन दयालुतया कृपयैव त्वया भवितव्यमुमे
अयि जगतो जननी कृपयासि यथासि तथानुमितासिरते ।
यदुचितमत्र भवत्युररीकुरुतादुरुतापमपाकुरुते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥

“हे दयालु माता, कृपा करो और मुझ पर दया करो। हे जगत की जननी, आपकी कृपा जैसी होती है, वैसी ही आपकी प्रतिक्रिया भी होती है। कृपा करके मुझे इस समय सही राह दिखाइए और मेरे दुःखों को दूर कीजिए॥”

इस श्लोक में भक्त देवी से अनुरोध कर रहा है कि उनकी दया और कृपा से वह किसी भी परिस्थिति में भविष्य में भले हो सकता है। उसे यह विश्वास है कि देवी जगत की माता है और वह उसे सही दिशा में ले जाएंगी और उसके दुःखों को दूर करेंगी॥

Aigiri Nandini Lyrics in English

“Ayi girinandini nanditamedini vishwavinodini nandinite

Girivaravindhya-shiro’adhinivāsini Vishnuvilasini jishnute.

“Bhagavati he shitikanthakutumbini bhurikutumbini bhurikrite

Jai jai he Mahishasuramardini ramyakapardini shailasute.”

Survarvarshini Durdharadhharshini Durmukhamarshini Harsharathe

Tribhuvanaposhini Shankaratoshini Kilbishamoshini Ghosharathe

Danujaniroshini Ditisutaroshini Durmadashoshini Sindhusute

Jay Jay He Mahishasura Mardini Ramya Kapardini Shaila Sute

Ayi Jagadamba Madamba Kadamaba Vanapriyavasini Hararathe

Shikhari Shiromani Tungahimalaya Shringanijalaya Madhyagate

Madhumadhure Madhukaitabhaganjini Kaitabhabhajini Rasarathe

Jay Jay He Mahishasura Mardini Ramya Kapardini Shailasute.

Ayi Shatakhand Vikhanditarunda Vitunditashunda Gajadhipate

Ripugajaganda Vidaranchanda Parakramashunda Mrigadhipate

Nijabhujadanda Nipatitakhand Vipatitamunda Bhataadhipate

Jay Jay He Mahishasura Mardini Ramya Kapardini Shailasute.

Ayi Randurmad Shatravadhodita Durdharanirjara Shaktibhrute

Chaturavichar Dhurinamahashiva Dootakrita Pramathadhipate

Duritaduriha Durashayadurmati Danavaduta Kritantamate

Jay Jay He Mahishasura Mardini Ramya Kapardini Shailasute.

Ayi Sharanagata Vairivadhuvara Viravarabhaya Dayakare

Tribhuvanamastaka Shulavirodhi Shirodhikritamala Shulakare

Dumidumitamara Dhundubhinadamahomukharikrita Dingmakare

Jay Jay He Mahishasura Mardini Ramya Kapardini Shailasute.

Ayi Nijahunkriti Matranirakrita Dhumravilochana Dhumrashate

Samaravishoshita Shonitabija Samudbhavashonita Bijalate

Shivashiva Shumbha Nishumbhamaha Hava Tarpitabhoot Pishacharate

Jay Jay He Mahishasura Mardini Ramya Kapardini Shailasute

Dhanuranushanga Rankshanasanga Parisphuradanga Natatkatake

Kanakapishanga Prishatkanishanga Rasadbhata Shringa Hatabatuke

Kritachaturanga Balakshitiranga Ghatadbahuranga Ratadbatuke

Jay Jay He Mahishasura Mardini Ramya Kapardini Shailasute.

Surallana Tatheyi Tatheyi Kritabhinayodara Nrityarathe

Krita Kukutha Kukutho Gaddadikatala Kutuhala Ganarathe

Dhudhukuta Dhukkuta Dhindhimita Dhvani Dheera Mridanga Ninadarathe

Jay Jay He Mahishasura Mardini Ramya Kapardini Shailasute.

Jay Jay Japya Jayejayashabda Parastuti Tatparavishvanute

Jhanjhanjhinjhimijhingkrit Nupurashinjitamohita Bhutapate

Natita Natartha Nati Nata Nayaka Natitanatya Suganarathe

Jay Jay He Mahishasura Mardini Ramya Kapardini Shailasute.

Ayi Sumanah Sumanah Sumanah Sumanah Sumanoharakantiyute

Shritarajani Rajanirajanee Rajanirajanee Karavaktravrite

Sunayanavibhramara Bhramarabhamar Bhramarabhamaradhipate

Jay Jay He Mahishasura Mardini Ramya Kapardini Shailasute.

Sahitamahahava Mallamatallika Mallitarallaka Mallarate

Virachitavallika Pallikamallika Jhillikabhillika Vargavrite

Shitakritaphulla Samullasitaruna Tallajapallava Sallalite

Jay Jay He Mahishasura Mardini Ramya Kapardini Shailasute.

Aviralganda Galanmada Medura Mattamatanga Jarajapate

Tribhuvanabhushana Bhutakalanidhi Rupapayonidhi Rajasute

Ayi Sudatijana Lalasamanasa Mohana Manmatharajasute

Jay Jay He Mahishasura Mardini Ramya Kapardini Shailasute.

Kamaladalamala Komalakanti Kalakalitamala Bhalalate

Sakalavilasa Kalanilayakrama Kelichaltakala Hamsakule

AliKulasankula Kuvayamandala Maulimiladbakulalikule

Jay Jay He Mahishasura Mardini Ramya Kapardini Shailasute

Karamurilirava Vijitakoojita Lajjitakokila Manjumate

Militapulinda Manoharagunjita Ranjitashaila Nikunjagate

Nijaganabhuta Mahashabarigana Sadgunasambhrta Kelitale

Jay Jay He Mahishasura Mardini Ramya Kapardini Shailasute.

Katitatapeeta Dukoolavichitra Mayukhatiraskrita Chandraruche

Pranatasurasura Maulimanisphura Damshulasannakha Chandraruche

Jitakanakachala Maulimadorjita Nirbharakunjar Kumbhakuche

Jay Jay He Mahishasura Mardini Ramya Kapardini Shailasute

Padakamalam karunānilaye varivasyati yo’nudinam sushive

Ayī kamale kamalānilaye kamalānilayaḥ sa kathaṁ na bhavet

Tava padameva parampadamityanuśīlayato mama kiṁ na śive

Jay Jay He Mahishasura Mardini Ramya Kapardini Shailasute

Kanakalasatkalasindhujalairanuśiñcati teguṇaraṅgabhuvam

Bhajati sa kiṁ na śacīkucakumbhataṭīparirambhasukhānubhavam

Tava caraṇaṁ śaraṇaṁ karavāṇi natāmaravāṇi nivāsi śivam

Jay Jay He Mahishasura Mardini Ramya Kapardini Shailasute.

Tava vimalendukulaṁ vadanendumalaṁ sakalaṁ nanu kūlayate

Kimu puruhūtapurīndu mukhī sumukhībhirasau vimukhīkriyate

Mama tu mataṁ śivanāmadhane bhavatī kṛpayā kimuta kriyate

Jay Jay He Mahishasura Mardini Ramya Kapardini Shailasute.

Ayī mayi dīna dayālutayā kṛpayāiva tvayā bhavitavyamume

Ayī jagato jananī kṛpayāsi yathāsi tathānumitāsiratē

Yaducitamatra bhavatyurarīkurutādurutāpamapākurutē

Jay Jay He Mahishasura Mardini Ramya Kapardini Shailasute.

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Aigiri Nandini Lyrics PDF Download

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