mppsc निम्नलिखित में से किस जनजाति को आदर के साथ “खुटिया पटेल” के रूप में संबोधित किया जाता है ?

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निम्नलिखित में से किस जनजाति को आदर के साथ “खुटिया पटेल” के रूप में संबोधित किया जाता है ?

(A) सहरिया –

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(B) बैगा

(C) भूमिया

(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं

सहरिया जनजाति को आदर के साथ “खुटिया पटेल” के रूप में संबोधित किया जाता है

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सहरिया जनजाति

सहरिया जनजाति आदर के साथ “खुटिया पटेल” के रूप में संबोधित किया जाता है

यह जनजाति मध्यप्रदेश के ग्वालियर, मुरैना, शिवपुरी, विदिशा, भिंड और रायसेन के क्षेत्रों में मौजूद है ।

जनसंख्या मध्य प्रदेश में 3,32748 पाई गई थी

सागर नर्मदा क्षेत्र में 1857 का स्वतंत्रता संग्राम

भील जनजाति

भील जनजाति जनसंख्या की दृष्टि से भारत की तीसरी तथा मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी जनजाति है। यह जनजाति मध्यप्रदेश के पश्चिम क्षेत्र धार, झाबुआ और पश्चिम निमाड़ जिलों में निवास करती है।

 यह प्रदेश की सबसे बड़ी जनजाति है। यह मध्यप्रदेश के अतिरिक्त राजस्थान महाराष्ट्र एवं गुजरात मे भी पाई जाती है।

उत्तप्ति

1857 की क्रांति में भोपाल रियासत की भूमिका

भील शब्द की संस्कृत भाषा के शब्द भिल्ल से मानी जाती है। वहीं यह भी कहा जाता है कि इस शब्द की उत्तप्ति द्रविड़ भाषा के शब्द बील से हुई है, जिसका अर्थ होता है धनुष चूंकि ये धनुर्विद्या में निपुण होती है इसलिए भील कहा गया है।

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शारीरिक बनावट

भील प्रोटो ऑस्ट्रेलॉयड प्रजाति के अंतर्गत आते है। भील जनजाति के लोग का कद छोटा होता है। सामान्यतया इनकी ऊंचाई 4 से 5 फीट के मध्य होती है। शरीर का रंग काला, गहरा काले घुंघराले केश, चपटी नाक, चौडां चेहरा, बड़े नथुने, आदि इस जनजाति की प्रमुख शारिरिक विशेषताएं है।

निवास

भील का निवास स्थाई नही होता है। यह प्रायः भ्रमण करते रहते है। यह लोग पहाड़ी स्थान बांस मिट्टी खपरैल तथा पत्थरो से झोपड़ी बनाकर रहते है। 

इनके मकान चौकोर होते है।

इनके घर आकर में बडे और खुले होते है 

यह अपने निवास स्थल को फाल्या कहते है तथा घरों (मकानों) को कू कहते है।

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उपजाति

भीली, भिलाला, बरेला, पटालिया, राथियास, बेगास उमड़ी आदि प्रमुख उपजाति है।

भिलाला सबसे बड़ी उपजाति है जो स्वयं को महाराणा प्रताप के वंशज मानते है।

प्रमुख पर्व

भगोरिया प्रणय पर्व – यह प्रेम एवं विवाह का उत्सव है जिसमे आदिवासी युवक युवतियां आने जीवनसाथी का चुनाव करते है

तीन भाग है 

 गुलालिया  गोल गधेडो  उजाड़िया

प्रमुख नृत्य

कहरवा, टोडा, पड़वा, दागला, आदि प्रमुख नृत्य है।

अन्य तथ्य

भील जनजति का विस्तृत वर्णन टी बी नायर ने अपनी पुस्तक द भील में किया।

पिथोरा भीलों का एक विश्व प्रशिद्ध चित्र है।

मध्यप्रदेश में भील या भिलाला जनजाति की संख्या सर्वाधिक है (59.93 लाख) जो कुल अनुसूचित जनजाति जनसंख्या का 39.1% है।

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गोड जनजाति

गोंड मध्यप्रदेश की एक प्रमुख जनजाति है। यह जनसंख्या की दृष्टि से भारत की सबसे बड़ी तथा मध्यप्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी जनजाति है, जिसकी आबादी 4,357,918 है,जिसकी संख्या 35.6% है। यह जनजाति मध्यप्रदेश के सभी जिलों में फैली हुई है लेकिन नर्मदा के दोनों ओर विंध्य ओर सतपुड़ा के पहाड़ी क्षेत्रों में इसका अधिक घनत्व है राज्य के बैतूल छिंदवाड़ा, होशंगाबाद, बालाघाट,मण्डल, शहडोल  जिलों में गोंड जनजाति पाई जाती है।

उत्पत्ति

प्रसिद्ध नृतत्वशास्त्री हिस्लोप के अनुसार गोंड शब्द की उत्पत्ति तेलुगु भाषा के कोड़ शब्द से हुई है जिसका अर्थ है पर्वत अर्थात यह जनजाति पहले पर्वतों का निवास करती थी इसलिए गोंड कहला। कुछ लोक कथाओं में गोंडो की उत्तप्ति बुढादेव अर्थात महादेव से हुई बताई जाती है।

शरीर की बनावट

इस जनजाति में स्त्रियों का कद पुरुषों की अपेक्षाकृत छोटा होता है। इनकी त्वचा का रंग काला केस काले तथा खड़े होने वाले नासिका भारी व बड़ी, गोलाधार सिर्फ छोटे ओठ सुगठित शरीर तथा मुँह चौड़ा होता है। 

गोंड जनजति के सम्बंध में अन्य तथ्य

मध्यप्रदेश गोंड जनजति व्यवसाय के आधार पर कई उप जातियों में विभाजित है जैसे लोहे का काम करने वाला वर्ग अगरिया मंदिर में पूजा पाठ करने वाले प्रधान तथा पंडिताई या तांत्रिक क्रिया करने वाले ओझा कहे जाते हैं

मध्य प्रदेश की गोंड जनजाति में भाई का लड़का और बहन की लड़की अथवा भाई की लड़की और बहन का लड़का में विवाह का प्रचलन है जिसे यह लोग दूध लोटावा कहते हैं

गोंड जनजाति में वर द्वारा वधू मूल्य नहीं चुकाने की स्थिति में वह भावी ससुर के यहां सेवा करता है जिससे खुश होकर उसे करने दे दी जाती है इससे व विवाह कहा जाता है तथा वह व्यक्ति लामानाई कहलाता है

उपजाति

 प्रधान, अगरिया, ओझा, नगरची और सोलहहास, गोंड जनजति की उप जाति है।

भारिया जनजति

भारिया का शाब्दिक अर्थ है भार ढोने वाला! भारिया गोंड जनजाति के लिए शाखा है जो द्रविडियन परिवार कि जनजाति में शामिल है।

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भौगोलिक वितरण

मध्य प्रदेश की भारिया की जनजाति मुख्यतः जबलपुर छिंदवाड़ा जिले में पाई जाती है 

छिंदवाड़ा जिले में पातालकोट क्षेत्र की भारिया जनजाति को अत्यंत पिछड़ी जनजातियों घोषित किया गया है।

शारीरिक बनावट

भारिया लोग घने जंगलों में और एकांत स्थलों में रहना पसंद करते हैं इनके गांव को ढाना कहते हैं जिसमे 20 से 25 घर होते है।

भारियाओ के घर घास फुस लकड़ी एवं बांस के बने होते हैं।

सामाजिक व्यवस्था।

भारिया समाज पितृसत्तात्मक एवं रूढ़िवादी समाज है इनके समाज में भूमिका परिहार एवं कोटवार का महत्वपूर्ण स्थान होता है संगोत्र विवाह वर्जित है। 

मृतको को दफनाने की प्रथा है।

धार्मिक जीवन

भारिया स्वयं को हिंदू से प्रभावित मानते हैं इनके प्रमुख देवता बूढ़ादेव, दूल्हादेव, नागदेव आदि है यह लोग हिन्दू देवी देवताओं की पूजा करते है 

भारिया की उपजाति

भूमिया, भूईहार, पेड़ों भारिया जनजति की उपजाति है।

भारिया में प्रचलित विवाह पद्धति – मंगनी विवाह, लमसेना विवाह, राजाबाजी, विधवा विवाह प्रचलित है

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भारिया के प्रमुख नृत्य

भड़म, करममा, सैतम, सैला, आदि भारिया के प्रमुख नृत्य है।

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