गणेश आरती | Ganesh (Ganpati) Aarti PDF Hindi [ FREE ]

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Ganesh ji ki aarti का परिचय

Ganesh ji ki aarti एक प्रमुख हिंदू धार्मिक आदर्श है जो गणपति भगवान की पूजा के दौरान की जाती है। आरती एक प्रकार का धार्मिक आदर्श होता है जिसमें भक्त भगवान के चरणों में प्रेम और समर्पण का अभिप्रेत करते हैं। गणेश आरती को आमतौर पर गणेश चतुर्थी और दैनिक पूजा-अर्चना के दौरान कि जाता है।

Ganesh ji ki aarti  आमतौर पर धूप, दीप, फूलों, पुष्पमाला और संगीत के साथ की जाती है। यह एक भक्तिमय गीत होता है जिसमें गणेश भगवान की महिमा, गुण और कृपा के बारे में गाया जाता है। इसे गुणगान के रूप में भी जाना जाता है और इसे समुद्र मंथन के कथा से joda जाता है, जहां गणेश भगवान ने मांसपेशियों को धारण किया था। ये कथा हम आपको किसी आर्टिकल में बताएँगे है

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Ganesh ji ki aarti के बोल और संगीत भक्तों को गणेश भगवान की प्रार्थना करने और उनकी आराधना करने का अवसर प्रदान करते हैं।

Aarti के महत्व और अर्थ

Ganesh ji ki aarti का महत्व और अर्थ बहुत महत्वपूर्ण हैं। इसे गणपति भगवान की पूजा-अर्चना के दौरान किया जाता है और इसके वाणी और भाव भक्तों को उनके संबंध में गहरी श्रद्धा और भक्ति का अनुभव कराते हैं। यहां ganesh ji ki aarti  के महत्वपूर्ण अंशों की एक संक्षेप में व्याख्या की गई है:

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आर्थिक और आधिकारिक संपत्ति की प्राप्ति: आपको  पता  होगा  की गणेश भगवान विद्या, बुद्धि और बुद्धिमानता के प्रतीक माने जाते हैं। ganesh ji का पाठ करने से आपको आर्थिक और आधिकारिक संपत्ति की प्राप्ति में सहायता मिल सकती है।

आध्यात्मिक और मानसिक शांति: ganesh ji ki aarti  करने से hamare मन ko शांति और स्थिरता मिलती है। इसके माध्यम से ham आध्यात्मिक सफलता की ओर अग्रसर हो सकते हैं और मानसिक संतुलन को स्थायी रूप से स्थापित कर सकते हैं।

विघ्नों का नाश: गणेश भगवान विघ्नहर्ता के रूप में जाने जाते हैं, जो हमें विभिन्न कठिनाइयों और बाधाओं से मुक्त करते हैं।

हिंदू पूजा में ganesh ji ki aarti का महत्व

हिंदू पूजा में Ganesh ji ki aarti  का महत्व विशेष mana है  जिसका वरना निचे दिए गए कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं me किया गया है:

प्रार्थना का अवसर: Ganesh ji ki Aarti  का पाठ करना एक प्रार्थना का अवसर प्रदान करता है जिसमें भक्त गणेश भगवान से अपने मन की इच्छाओं, आशाओं और प्रार्थनाओं को व्यक्त करते है।

आराधना और समर्पण: Ganesh ji ki aarti  का पाठ करना भक्त की आराधना का प्रमुख अंग होता है। इसमें भक्त अपने मन, वचन और कर्म समर्पित करते हैं और अपनी पूर्ण समर्पणता और भक्ति का अभिप्रेत करते हैं।

विघ्नहर्ता की प्रार्थना: गणेश भगवान को विघ्नहर्ता के रूप में jana जाता है जो हमें सभी बाधाओं, संकटों और विपरीत परिस्थितियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करते है। गणेश आरती के पाठ के माध्यम से हम उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं और विघ्नों से मुक्ति की आशा करते हैं।

Ganesh ji ki aarti  का इतिहास और उत्पत्ति

Ganesh ji ki aarti  का इतिहास और उत्पत्ति अत्यंत प्राचीन हैं और इसका मूल विवरण किताबों या पुराणों में नहीं मिलता है। हालांकि, ganesh ji ki aarti  का प्रचलन प्राचीन काल से ही हुआ है और इसे भगवान गणेश की पूजा के दौरान पाठ किया जाता है।

आमतौर पर मान्यता है कि महाभारत काल में ganesh ji ki aarti  का आदान-प्रदान हुआ था। कई पुराणों में गणेश ji ki आरती के प्रमाण मिलते हैं, जैसे “गणेश पुराण” और “गणेश सहस्त्रनाम स्तोत्र”।

शुक और आरती: एक प्रमुख कथा के अनुसार, ऋषि वेदव्यास के पुत्र शुकदेव जब अज्ञात रूप में व्यास महर्षि से मिलने गए थे, तो व्यास महर्षि ने उन्हें गणेश भगवान की आराधना का मार्गदर्शन किया था। उस समय शुकदेव ने गणेश आरती का गान किया था, और व्यास महर्षि ने इसे गणेश भगवान को समर्पित किया। इस प्रकार गणेश ji आरती की शुरुआत हुई।

संकटमोचन हनुमानाष्टक: एक और प्रसिद्ध कथा के अनुसार, तुलसीदास ने संकटमोचन हनुमानाष्टक को लिखते समय उसे अपने गुरु गोस्वामी तुकाराम को समर्पित किया। तुकाराम गुरु ने इसे पढ़ने के पश्चात उसे गणेश आरती के समान और कदापि नहीं, कहा और उसे ganesh ji ki aarti  का नाम दिया।

आरती के बोल और अर्थ

Ganesh ji ki aarti  के बोल और मन्त्रों का अर्थ गहरा और आध्यात्मिक होता है। यह आरती भगवान गणेश की महिमा, गुणों और आशीर्वाद को प्रकट करती है। यहां गणेश आरती के प्रमुख पंक्तियों के अर्थ दिए गए हैं:

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा:

(इस पंक्ति में हम गणेश भगवान को जय और नमन करते हैं। हम उनकी महिमा का गान करते हैं और उन्हें विजयपूर्ण घोषणा करते हैं।)

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा:

(यह पंक्ति बताती है कि माता पार्वती और पिता महादेव द्वारा जन्मे हुए गणेश भगवान को हम प्रणाम करते हैं।)

एकदंत दयावन्त, चार भुजा धारी:

(इस पंक्ति में गणेश भगवान के रूप का वर्णन किया गया है। हम उनके एकदंत (एक प्राण), दयाशीलता और चार भुजों (चतुर्भुज रूप) को समर्पित करते हैं।)

माथे पे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥

(सिंदूर का चंदन चिह्न माथे पर सुंदर दिखता है, और उसकी सवारी मूषक की होती है।)

पान चढ़े, फूल चढ़े, और चढ़े मेवा।

(आरती में पान, फूल और मेवे चढ़ाए जाते हैं, जो भगवान की प्रसाद के रूप में उपयोग होते हैं।)

लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥

(लड्डू का भोग लगाया जाता है और संत महात्माओं की सेवा की जाती है।)

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।

(गणेश भगवान विघ्नहर्ता हैं, जो अंधे को दृष्टि देते हैं, कोढ़ी व्यक्ति को उचित दिशा देते हैं।)

बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥

(गणेश भगवान बांझ माताओं को पुत्रव्रती बनाते हैं और गरीबों को सम्पदा देते हैं।)

सूर श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।

(शूर और श्याम, यानी कृष्ण भगवान, की शरण में आने से सभी लोग सफलता प्राप्त करते हैं। इसलिए भगवान की सेवा करें और सफलता को प्राप्त करें।)

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

(माता पार्वती और पिता महादेव, यानी शिव, की आराधना करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करते हैं।)

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा॥

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

(हे गणेश देव, हे गणेश देव, हे गणेश देव की जय। माता पार्वती और पिता महादेव की जय।)

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